लुधियाना, 29 दिसंबर, 2024:--- जब विजिबिलिटी 800 मीटर से कम हो जाती है या रनवे विजुअल रेंज (आरवीआर) 550 मीटर से कम हो जाती है, तो हवाई अड्डों पर कैट II/कैट III संचालन शुरू हो जाता है। कैट II/कैट III संचालन के लिए प्रमाणित हवाई अड्डों में डायरेटोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) /इंटरनेशनल सिविल एविएशन आर्गेनाईजेशन (आईसीएओ) स्टैंडर्ड्स के अनुसार पर्याप्त बुनियादी ढांचा और उपकरण होने चाहिए जैसे रनवे एज लाइट्स, रनवे सेंटर लाइन लाइट्स, एप्रोच लाइट्स, रनवे टचडाउन ज़ोन लाइट्स, टैक्सीवे सेंटर लाइन लाइट्स, स्टॉपबार और कैट II/III इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस)। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने राज्यसभा के हाल ही में संपन्न शीतकालीन सत्र में लुधियाना से सांसद (राज्यसभा) संजीव अरोड़ा द्वारा पूछे गए "रनवे पर अनिवार्य हाई विजिबिलिटी लाइट" पर प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। आज यहां यह जानकारी देते हुए अरोड़ा ने कहा कि मंत्री ने अपने उत्तर में आगे बताया कि वर्तमान में, दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, अमृतसर, कोलकाता और बेंगलुरु जैसे छह हवाई अड्डों पर डीजीसीए द्वारा कैट II/III संचालन के लिए प्रमाणित एक या अधिक रनवे हैं और एएआई द्वारा संचालित 60 से अधिक हवाई अड्डे आईएलएस कैट- I और संबंधित रनवे लाइट से सुसज्जित हैं। मंत्री के उत्तर में आगे बताया गया कि हालांकि सभी कमर्शियल एयरपोर्ट्स को कैट III सिस्टम से लैस करने का कोई वर्तमान आदेश नहीं है, लेकिन इस तरह की प्रणाली स्थापित करने का निर्णय संबंधित हवाई अड्डे पर परिचालन मांग, हवाई यातायात की मात्रा और मौजूदा मौसम की स्थिति जैसे कारणों पर निर्भर करता है। अरोड़ा ने देश के उन हवाई अड्डों की सूची के बारे में पूछा था, जिनके रनवे पर हाई विजिबिलिटी लाइट लगी हुई है, जिससे पायलटों को कम विजिबिलिटी के समय में अपने विमान को उतारना आसान हो जाता है। उन्होंने यह भी पूछा है कि क्या सरकार निकट भविष्य में भारत के सभी कमर्शियल एयरपोर्ट्स पर हाई विजिबिलिटी लाइटिंग की स्थापना अनिवार्य करने की योजना बना रही है, यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है, यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं।
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Balraj Khanna (Editor)